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चित्तौड़गढ़। भारतीय बाघ गणना 2026 (छठा चक्र) के अंतर्गत चित्तौड़गढ़ वनमंडल में टाइगर एस्टीमेशन एवं मांसाहारी वन्यजीवों के साइन सर्वे का तकनीकी प्रशिक्षण आज वनमंडल कार्यालय के प्रशिक्षण हॉल में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्रीय वन अधिकारियों, वनपालों, सहायक वनपालों तथा संरक्षण टीम के सदस्यों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य वन क्षेत्र में बाघ, तेंदुआ, लकड़बग्घा सहित अन्य मांसाहारी प्रजातियों की उपस्थिति, उनकी गतिविधियों, पगमार्क, स्कैट, स्ट्रेच मार्क व किल मार्क्स जैसे वैज्ञानिक संकेतों के आधार पर उनकी वास्तविक संख्या एवं मूवमेंट का सटीक आकलन करना रहा।
रणथम्भौर नेशनल पार्क के वरिष्ठ जीवविज्ञानी मोहम्मद मेराज ने प्रतिभागियों को साइन सर्वे, साक्ष्य संकलन, ट्रांसेक्ट लाइन सर्वे, पगमार्क पहचानने की तकनीक और मोबाइल ऐप के माध्यम से फील्ड डेटा अपलोडिंग की प्रक्रिया समझाई। उन्होंने मांसाहारी प्रजातियों के व्यवहार, शिकार पैटर्न और स्कैट पहचान के वैज्ञानिक तरीके भी बताए।
उप वन संरक्षक चित्तौड़गढ़ राहुल झाझड़िया ने फील्ड सर्वे की महत्ता और डेटा की शुद्धता पर जोर देते हुए कहा कि सटीक आंकड़े ही वन्यजीव संरक्षण की मजबूत नींव हैं। प्रशिक्षण के दूसरे चरण में प्रतिभागियों को फील्ड विजिट कर साइन सर्वे, ट्रांसेक्ट लाइन सर्वे एवं कैमरा ट्रैप लगाने का व्यावहारिक अभ्यास कराया गया।
वरिष्ठ जीवविज्ञानी मेराज ने बताया कि टाइगर एस्टीमेशन देश की सबसे महत्वपूर्ण वन्यजीव गणना परियोजनाओं में से एक है, जिसका आयोजन प्रत्येक चार वर्ष में किया जाता है। चित्तौड़गढ़ में आयोजित यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे फील्ड स्टाफ वैज्ञानिक पद्धतियों में और अधिक दक्ष होगा।
चित्तौड़गढ़, कपासन, विजयपुर, बेगू, बोराव, जावदा, रावतभाटा सहित वन्यजीव रेंज बस्सी व बड़ीसादड़ी के अधिकारियों, वनपालों, सहायक कर्मियों एवं फील्ड स्टाफ ने प्रशिक्षण में सक्रिय भागीदारी निभाई।
समापन सत्र में अधिकारियों ने वन्यजीव संरक्षण, भू-आधारित डेटा संग्रहण और फील्ड कार्य के दौरान सटीक आंकड़ों की अनिवार्यता पर बल देते हुए सभी प्रतिभागियों से जिम्मेदारीपूर्वक कार्य करने की अपील की।




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